Wednesday, July 31, 2013

अब भी नहीं जागे तो कब जागोगे !



 

आज प्रात: काल सोकर उठा तो मोबाइल पर एक मित्र का सन्देश मिला

जागो!

केरल में रमजान के कारण हिन्दू बच्चो का मिड डे मील बंद कर दिया गया और शुक्रवार को छुट्टी घोषित कर दी गई हैं। क्या नवरात्रे में मुस्लिम बच्चों को उपवास करवाया जायेगा?

मेरा साधारण सा उत्तर था जो सभी हिन्दू भाई जानते हैं की "नहीं"

मित्र ने इसका कारण पूछा

मैंने कहा जो हिन्दू जाति भाई भाई से जात के नाम पर भेद करती हैं, एक दूसरे को जन्म के आधार पर अपने से नीचा मानती हैं, जिसमें एकता का आभाव हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य १०० रुपये, एक दारू की बोतल और एक समय की रोटी के बदले अपने कीमती वोट बेच देते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य अपना वोट उम्मीदवार के गुण, कर्म और स्वभाव को देखकर नहीं अपितु उसकी जाति और उसके डंडे के जोर से देते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य अपनी ही जाति के सदस्यों द्वारा मत परिवर्तन कर गैर हिन्दू बन जाने पर आँख मूंद कर कबूतर बन जाते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य वेदों में वर्णित ईश्वर को भूलकर उन मुसलमानों की कब्रों पर अपना माथा पटकने में लगे रहते हैं जिन्हें हमारे ही पूर्वजों ने युद्ध में मार गिराया था तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य अपने महापुरुषों मर्यादा पुरुषोतम श्री रामचंद्र जी महाराज और योगिराज श्री कृष्ण जी महाराज के आदर्श जीवन को भूल कर एक मस्जिद में रहने वाले माँसाहारी मुसलमान साईं बाबा को भगवान मानने लगते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य अपने बच्चों को हमारे महान देशभक्तों जैसे राम प्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार पटेल आदि के जीवन वृतान्त के स्थान पर बॉलीवुड के सितारों की जीवनियाँ स्मरण करवाते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य पुरुषार्थ कर्म को त्याग कर निर्मल बाबा के गोलगप्पो, राधे माँ के मेकअप, अन्य गुरुओं के पाखंडों में शोर्ट कट तरीके से अध्यातम ज्ञान की खोज करते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य ईश्वर द्वारा बताई गई कर्म फल व्यवस्था को भूलकर भुत प्रेत, जादू टोना,उपरी पराई छाया, टोना टोटका,जन्मपत्री, पशु बलि और तांत्रिक साधना आदि पाखंडों से अपने जीवन में सफलता प्राप्त होना मानते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य अपने वीर इतिहास को भूलकर अंग्रेजों द्वारा दिए गये कृत्रिम इतिहास को परम सत्य मानकर अपने आपको संसार की गुलाम, अशिक्षित और निकृष्ट लोग समझते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य गरीब हिन्दू बच्चों को दूध पिलाने के स्थान पर मंदिरों में मूर्तियों को दूध पिलाने के नाम पर लाखों लीटर दूध नालियों में बहा सकते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य गरीब हिन्दुओं को मत परिवर्तन से बचाने के लिए के शिक्षा, रोजगार एवं अस्पताल आदि के निर्माण के स्थान पर सोने के खम्बों वाले मंदिरों पर करोड़ो रुपये व्यय करते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के बच्चे हमारे महान वैदिक धर्म और उसके सिद्धांतो पर, हमारे प्राचीन गौरव और राष्ट्र की उन्नति के साधनों पर चिंतन मनन करने के स्थान पर अंग्रेजी बोलने, विदेशी कपड़े पहनने, माँसाहार और शराब पीने, लड़का-लड़की मित्र बनाने में अपनी सारी उर्जा व्यय करते हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा जो हिन्दू जाति High thinking and Simple Living के भारतीय सिद्धांत को असभ्य और भोगवादी विदेशी जीवन शैली को सभ्य मानने लगी हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

मैंने कहा की जिस हिन्दू जाति के सदस्य १९४७ में धर्म के नाम पर हुए देश विभाजन को भूलकर अपने आपको सेक्युलर सिद्ध करने में लगे हुए हैं तब तो उसके साथ तो ऐसा ही बर्ताव होना चाहिए।

यह तो कुछ उदहारण भर हैं, ऐसे अनेक कारण और गिनाये जा सकते हैं जिनके कारण हिन्दू समाज न तो संगठित हैं, न ही अपने देश, धर्म और जाति के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

जब तक हिन्दू समाज इतिहास में की गई गलतियों से शिक्षा नहीं लेगा और अपने वर्तमान को भोगमय से योगमय नहीं बनायेगा तब तक उसका ह्रास उसी प्रकार से होता रहेगा जैसा इतिहास में होता आया हैं।

अब भी नहीं जागे तो कब जागोगे !

डॉ विवेक आर्य

4 comments:

  1. vivek ji Hindu hi aaps mei arya aor pauranik ke naam par ladte hai
    fir ye ek kaise honge ??????????????

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  2. जी हाँ डंडे के बिना मुश्किल है .Read "The War of Middle Class " a book written by me on social reforms in all sectors .It has solution for all problems including religion ,politics, employment etc

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  3. विवेक जी,अच्छा लेख ,वास्तविकता

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