Saturday, December 14, 2013

महात्मा बुद्ध एवं माँसाहार










 महात्मा बुद्ध एवं माँसाहार

महात्मा बुद्ध महान समाज सुधारक थे। उस काल में प्रचलित यज्ञ में पशु बलि को देखकर उनका मन विचलित हो गया और उन्होंने उसके विरुद्ध जन आंदोलन कर उस क्रूर प्रथा को रुकवाया। महात्मा बुद्ध जैसे अहिंसा के समर्थक एवं बुद्ध धर्म के विषय में दो बातें उनके आंदोलन कि मूलभूत आत्मा अहिंसा के विरुद्ध प्रतीत होती हैं। एक महात्मा बुद्ध कि मृत्यु सूअर का माँस खाने से पेट का संक्रमण होने से होना, द्वितीय बुद्ध को मानने वाले अधिकतर देशों में माँस खाया जाना हैं। इस सम्बन्ध में स्वामी दयानंद द्वारा यह कथन सबसे अधिक तर्कसंगत सिद्ध होता हैं कि बुद्ध काल में माँसाहार का प्रचलन नहीं था कालांतर में किसी बुद्ध भिक्षु को किसी पक्षी के मुख से गिरा हुआ माँस का टुकड़ा मिला जिसे उसने खा लिया और वही से इस परिपाटी का प्रचलन हो गया कि कोई भी केवल माँस खाने से पापी नहीं बनता, पापी तो पशु का वध करने वाला होता हैं। इस प्रचलन को देखकर मनु स्मृति का माँसाहार विषय पर एक श्लोक स्मरण हो गया।
अनुमंता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी ।
संस्कर्त्ता चोपहर्त्ता च खादकश्चेति घातका: ॥ (मनुस्मृति- 5:51)
अर्थ - अनुमति = मारने की आज्ञा देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिए लेने और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले - ये आठों प्रकार के मनुष्य घातक, हिंसक अर्थात् ये सब एक समान पापी हैं।
इस श्लोक से स्पष्ट सिद्ध होता हैं कि माँस खाने वाला भी उतना ही पापी हैं जितने पशु हत्या करने वाला पापी हैं। सन्देश यह हैं कि बुद्ध कि पवित्र शिक्षा को मानने वालो को उन्हें यथार्थ में अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए। केवल गेरुआ वस्त्र पहनने और सर मुण्डा कर मठ में रहने भर से व्यक्ति त्यागी और तपस्वी नहीं हो सकता। कोई मुझसे पूछे कि धर्म और अन्धविश्वास में क्या अंतर हैं तो मेरा उत्तर यही होगा कि धर्म सत्य का आचरण हैं जैसा बुद्ध ने निभाया था और अन्धविश्वासी बुद्ध का नाम लेकर माँस खाने वाले बौद्ध लोग हैं जो अज्ञानी हैं।
क्या बुद्ध माँसाहारी थे? क्या उनकी मृत्यु सूअर का माँस खाने से हुई थी? इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आर्य विद्वान पंडित गंगा प्रसाद जी उपाध्याय द्वारा लिखित इस शोध पूर्ण लेख से पाठक लाभान्वित हो सकते हैं।
डॉ विवेक आर्य 



 

4 comments:

  1. What was aswmegh ,gaumegh yagya. Was it not involve eating ,killing that paerticular horse and cow after yagya?

    ReplyDelete
  2. पादरी डाक्टर होपर साहब से लाहौर में प्रश्नोत्तर मई..१८७७
    -----------------------------------------------------------------------------
    जब स्वामी जी लाहौर में डा . रहीम खान कि कोठी में ठहरे हुवे थे तो वहा स्वामी जी का एक निश्चित नियम था कि एक दिन व्याख्यान करते थे तथा उसके अगले दिन शास्त्रार्थ करते थे जिसमे हर प्रकार के लोग पंडित पादरी व मौलवी आदि के साथ शास्त्रार्थ होता था तथा उनका संतोष जनक उत्तर भी स्वामी जी द्वारा दिया जाता था...
    इसी श्रृंखला में एक दिन पादरी होपर जी के साथ भी कुछ सवाल जबाब हुवे
    पादरी ---वेदों में अश्वमेघ और गोमेघ का वर्णन है और उस समय लोग घोड़े और गाय कि बलि दिया करते थे इस विषय में आप क्या कहते हैं?
    स्वामी जी ---वेदों में अश्वमेघ और गोमेघ शब्द का तात्पर्य घोड़े और गाय कि बलि देना बिलकुल नहीं है...प्रत्युत इनके अर्थ तो ये हैं ---
    राष्ट्रं वाश्वमेघः || शत० १३ | १| ६| २ ||
    अन्नं हि गौः || शत० |४|३१| २२ ||
    वेद में घोड़े, गाय, मनुष्य व पशु मार कर होम करना कहीं भी नहीं लिखा....केवल वाममार्गियों के ग्रंथों में ऐसा अनर्थ लिखा है यह झूठी बात वाम मार्गियों ने चलाई और जहां जहाँ इस तरह के लेख हैं उन्ही वाममार्गियों ने प्रक्षेप किये हैं ....देखो!! राजा न्याय से प्रजा का पालन करे यह अश्वमेघ है ...अन्न, इन्द्रियाँ, अंतःकरण और पृथ्वी आदि को पवित्र करने का नाम गोमेघ हैं ..... जब मनुष्य मर जाय तो उसके शरीर का विधि पूर्वक दाह संस्कार नरमेघ कहलाता है ...
    इसके पश्चात इनके अर्थ व्याकरण और निरुक्त आदि के उद्धरणों ले बतलाये तब जाकर पादरी को पूरी तरह संतोष हुवा ...
    पादरी --- वेदों में जाति व्यवहार किस प्रकार है ?
    स्वामी जी --- वेदों में जाति जन्मनुसार नहीं अपितु गुण कर्मानुसार है ...
    पादरी ----यदि मेरे गुण कर्म अच्छे हों तो क्या मै भी ब्राह्मण कहला लकता हूँ ?
    स्वामी जी ---क्यों नहीं ! निसंदेह यदि आपके गुण कर्म ब्राह्मण होने के योग्य है तो आप भी ब्राह्मण कहला सकते हैं ....
    ( लेखराम ....पृष्ठ ३२४ )

    ReplyDelete
  3. उच्चस्तरीय शास्त्रार्थ ही वेदों कि वाणी है ,.. जहा हर एक बात खुलकर सामने आ पाती है . कि क्या गलत लिखा है और क्या सही है .
    शक्ति बारेठ

    ReplyDelete
  4. Par Balmiki Ramayan me bhi aswamegh yagya ka varnan hai , aswa ki hatya ka varnan hai .

    ReplyDelete